इम्पीरियल इण्टरनेषनल स्कूल में सतर्कता जारूकता सत्पाह का मनाया गया। जिसके क्रम में विद्यालय में सीनियर कक्षा के छात्र/छात्राओं तथा शिक्षकणों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यालय के चैयरमैन श्री ओम प्रकाश राजपूत जी द्वारा सभी विद्यार्थियों एवं शिक्षकगणों को सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अन्तर्गत ‘ईमानदारी एक जीवन शैली’ के विषय में बताया और अपनी जीवन में अपने कार्यों के प्रति कत्र्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी से करने के लिए प्रेरित किया। साथी ही बच्चों को बताया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म वाले सप्ताह को ही ‘सतर्कता जारूकता सप्ताह’ के रूप में मनाया जाता है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। यह दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को सरदार वल्लभ भाई पटेल के विषय में जानकारी दी गयी। बच्चों को बताया गया कि सरदार पटेल ने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की थी। उन्होने भारत के एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। ये भारतीय राष्ट्रीय कांगेस के वरिष्ठ नेता तथा भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे, जिन्होने स्वतन्त्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई।
इस सप्ताह के दौरान प्री-प्राईमरी, जूनियर एवं सीनियर कक्षाओं के बच्चों द्वारा प्रत्येक दिन क्रमशः सत्यनिष्ठा हेतु ‘शपथ ग्रहण’ का आयोजन प्रार्थना सभा में किया गया तथा इस कार्यक्रम की महत्ता को उत्साहपूर्ण बनाने के लिए जूनियर एवं सीनियर कक्षाओं के विद्यार्थियों द्वारा ईमानदारी, कत्र्तव्य परायणता, भ्रष्टाचार की रोकथाम व आदि विषयों पर निबन्ध लेखन, स्लोगन राईटिंग, कार्टून मेकिंग, रन आॅफ यूनिटी जैसी एक्टिीवीटी का आयोजन किया गया।
विद्यालय की डायेरेक्टर एकेडमिक डाॅ0 अंजना राजपूत ने बच्चों को अपने जीवन में अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी से करने की सलाह दी। प्रधानाचार्या महोदया श्रीमती मरलीन मनास ने इस सप्ताह की महत्ता को सभी विद्यार्थियों को समझाया तथा भविष्य में एक अच्छा नेता, सिपाही अथवा नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया, जिससे देश का भविष्य हमेशा उज्जवल रहे। ‘सतर्कता जारूकता सप्ताह’ के आयोजन डायरेक्टर एकेडमिक डाॅ0 अंजना राजपूत एवं शिक्षकण कु0 मलकश शमसी, श्रीमती हुमेरा खान, श्री शुभम भारद्वाज, श्री मेहूल अग्रवाल, श्री गजेन्द्र सिंह, श्रीमती प्रीति गुप्ता, श्रीमती शिक्षा शर्मा एवं श्री सवोत्तम राव आदि के सहायोग से किया गया।